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एक अँधा व्यक्ति कुएं से पानी निकाल रहा था. तभी राजा ने अपने सैनिक को भेजा कि प्यास लगी है, पानी ले आओ. सैनिक ने अंधे को कहा, "ए अंधे! राजा के लिए पानी चाहिए, पानी दे." उसने कहा," तू सैनिक है सैनिक ही रहेगा, नहीं दूंगा पानी।" फिर महामंत्री को भेजा. महामंत्री ने बोला,"सूरदास बाबा, पानी चाहिए पानी देगा क्या?" उसने कहा,"तू महामंत्री से आगे कभी नहीं बढ़ पाएगा." राजा आया राजे ने कहा,"बाबाजी गाला सूख रहा है ,पानी देंगे तो बड़ी कृपा होगी." उस अंधे व्यक्ति ने राजन को बड़े प्रेम से पानी पिलाया। राजा ने पूछा,"आपने कैसे अंतर जाना कौन सैनिक, कौन महामंत्री और कौन राजा है, आप तो देख नहीं सकते." उसने कहा,"मैंने भाषा से समझा." शब्दों से मुझे विदित हुआ कि कौन छोटा है और कौन बड़ा. शब्दों का चयन ढंग से करना ज़रूरी है पर शब्दों का चयन स्वयं पर कम होना चाहिए. जिस तरह प्रकृति किसी चीज़ में भेद भाव नहीं करती उस तरह इंसान को भी नहीं करना चाहिए.
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