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एक संत अपने शिष्यों को लेकर नदी तट पर गए. वहां उन्हें ध्यान करने को कहा गया. जब सभी शिष्य अपने अपने ध्यान में बैठे थे, एक डूबते बच्चे की आवाज़ आयी जिसे सुनकर एक शिष्य भाग पड़ा और उस डूबते को बचाकर ले आया. जब गुरूजी ने अपने शिष्यों से पूछा की उन्हें उस बच्चे की आवाज़ आयी तोह उन्होंने बताया उन्हें भी आवाज़ आयी पर वे उठे नहीं क्योंकि वे अपने ध्यान में थे. गुरूजी ने उन्हें समझाया कि शिक्षा और कर्म एक होने चाहिए. ऐसी शिक्षा किसी काम की नहीं जिसका आचरण में प्रभाव ना हो. वास्तव में तुम्हारी शिक्षा कोरी हैं. बड़ा से बड़ा काम परोपकार के लिए छोड़ देना चाहिए.
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