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संस्थान में एक पद के साक्षात्कार के लिए जब कई लोग कार्यालय आए, वक़्त गुजरने के बाद एक व्यक्ति अपनी के साथ आये. उनसे पूछा गया की वे समय पर क्यों नहीं आए तो उन्होंने बताया कि, "रस्ते में उन्हें एक दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति मिल गए जिन्हे वे अस्पताल लेगए और दवाइयां लेकर दी. उन्होंने साक्षात्कार से ज़्यादा एक पीड़ित को प्राथमिकता दी. इसका ये मतलब नहीं कि उन्हें नौकरी की ज़रूरत नहीं, पर उनके लिए क्या ज़्यादा ज़रूरी था. उस व्यक्ति को नौकरी मिल गयी क्योंकि उसने उस पीड़ित को बचाने के लिए नौकरी की चिंता नहीं की. जो औरो के लिए सोचता और जीता है, उसके जीवन में सभी कार्य श्रेष्ठ होते हैं. उसको उतने कष्टों से नहीं गुज़रना पड़ता जितना एक स्वार्थी व्यक्ति को गुज़रना पड़ता है.
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