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एक बड़े संत एक प्रवचन कर रहे थे और उनके सामने एक व्यक्ति सो रहे थे. संत ने उन्हें देख कर पूछा, "भैया सो रहे हो?” वो बोले," नहीं नहीं महाराज, मैं कहाँ सो रहा हूँ, मैं तो जागा हुआ हूँ. थोड़ी देर बाद फिर नींद आयी तो फिरसे पूछा, "भैया जीवित हो?" बोले, "नहीं नहीं महाराज, मैं कहाँ जीवित हूँ। सोते हुए आदमी को जगाना आसान है, परन्तु जागते हुए आदमी को जगाना मुश्किल. हम सब लोग जाग रहे हैं लेकिन हम जागते हुए सो रहे हैं. रोज़ मंदिर जाना, पूजा अर्चना करना, एक नित्य कर्म है. एक आदत है.. उसमे भाव नहीं हैं, उसमे परमात्मा के प्रति भक्ति गायब हो चुकी है. ये सब इसलिए क्योंकि हम ये सब काम बेहोशी में कर रहे हैं. अपने दफ्तर तक पहुँचने के लिए व्यक्ति वाहन उठाता है और पहुंच जाता है. उसे रस्ते याद होते है और उस समय उसके भीतर कही ख्याल चल रहे होते हैं. आपको हर समय पता होना चाहिए कि आप क्या कर रहे हैं. यदि आप होश में रहना सीख गए तोह आप दुनिया के सबसे सफल आदमी होजाओगे क्योंकि होश में व्यक्ति एक समय पर एक काम करता है और हम सब एक समय पर ४ काम करने के आदी हो चुके हैं.
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