परमेश्वर के दिखाए मार्ग पर चलने से समाज में आएगा बदलाव

परमपिता परमेश्वर ने हम सभी को एक अच्छा जीवन जीने के लिए धरती पर भेजा है। भगवान ने इस पृथ्वी पर सभी जीवों के लिए हर प्रकार के संसाधन समान रूप से प्रदान किए हैं। जिस प्रकार से सूरज बिना भेदभाव के सम्पूर्ण जगत के लिए समान रूप से प्रकाश प्रदान करता है और नदियां बिना किसी भेदभाव के अपना जीवनदायी जल प्रदान करती हैं। उसी प्रकार हमें भी इस जगत में बिना किसी भेदभाव के जीवन यापन करना चाहिए।

पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि समाज में सफलता के पैमाने भिन्न होते जा रहे हैं, जिसके कारण लोग विभिन्न तरह की जीवनशैलियों के आदी हो गए हैं। इसके कारण समाज में तेजी से बदलाव देखा गया है जो लोग सक्षम है वो समाज में अपने आप को अलग तौर पर देखने लगे हैं और जो सक्षम नहीं है उन्हें समाज में अलग दर्जा दे दिया गया है। इस चीज को पाटने के लिए हम सबको प्रयास करने की आवश्यकता है।

एक गहरे उद्देश्य की खोज में हम इस ज्ञान से निर्देशित होते हैं कि ईश्वर की सच्ची पूजा केवल प्रार्थना और अनुष्ठानों में नहीं है, बल्कि हमारे साथी मनुष्यों की सेवा करने में भी निहित है। गरीबों, दिव्यांगों और वंचितों की सेवा करना करुणा और निस्वार्थता के कार्यों में संलग्न होना है। दयालुता के इन कार्यों में हमें तृप्ति की गहरी भावना मिलती है।

गरीबों की सेवा : आर्थिक रूप से वंचितों के प्रति करुणा एक महान आह्वान है। ऐसे लोग जो परिस्थितियों के कारण पीछे रह गए हैं उनका उत्थान करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। गरीबों की जरूरतों को समझकर समाज में हमें समानता के लिए ईश्वर के आदेश का पालन करना चाहिए।

दिव्यांगों का समर्थन करना : इस जगत में दिव्यांगों को अनोखी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। शारीरिक या मानसिक दिक्कतों से जूझ रहे लोगों को सहायता प्रदान करना करुणा का कार्य है। समर्थन के इन कार्यों के माध्यम से हम सक्षम और विकलांग लोगों के बीच की खाई को पाटते हैं और एक समावेशी तथा न्यायपूर्ण समाज को बढ़ावा देते हैं।

वंचितों को सशक्त बनाना : अक्सर देखा जाता है कि शिक्षा, बुनियादी जरूरतों और अवसरों की कमी से जूझ रहे वंचितों को गरीबी के चक्र से मुक्त होने के लिए हमारी मदद की जरूरत है। उन्हें शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और आर्थिक विकास के अवसरों के साथ सशक्त बनाकर, हम उन्हें अधिक सम्मानजनक जीवन जीने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। इसके लिए हमें प्रयास करना चाहिए।

समय बहुमूल्य है। धन के विपरीत, इसका संचय या व्यापार नहीं किया जा सकता है। यह हमें अपने साथ लेकर निरंतर आगे बढ़ता रहता है। घड़ी की हर टिक-टिक के साथ हमारी उम्र घटती जाती है और जो अतीत एक बार चला गया, उसे कभी दोबारा हासिल नहीं किया जा सकता। इस कठिन यात्रा के सामने हमें इस पर विचार करना चाहिए कि हम अपने समय का उपयोग कैसे करते हैं। यह स्पष्ट हो जाता है कि अकेले भौतिक धन की खोज हमें स्थायी संतुष्टि प्रदान करने के लिए अपर्याप्त है। अपने अस्तित्व की अस्थायी प्रकृति को समझते हुए, हमें एक गहरे उद्देश्य की तलाश करनी चाहिए, जो व्यक्तिगत लाभ से परे हो।

काल चक्र हमेशा आगे की ओर बढ़ रहा है। इसलिए हमें अपने समय का सदुपयोग करते हुए परमात्मा की उपासाना करना चाहिए। दीन दु:खियों, दिव्यांगों और वंचितों की सेवा करना ही परमात्मा की सच्ची उपासना है। जिंदगी में असली खुशी दूसरों के लिए काम करने में ही मिलती हैं।

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